Chhath Puja 2022 : सूर्य षष्ठी व्रत करने से मिल सकती है चर्म रोग और नेत्र रोग से मुक्ति



जबलपुर लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत आज नहाय खाय से शुरू हो गयी है। ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यह व्रत मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने वाली स्त्रियां धन-धान्य-पति-पुत्र व सुख, समृध्दि से परिपूर्ण व संतुष्ट रहती हैं।

यह सूर्य षष्ठी व्रत चार दिनों का होता है। इस बार यह महापर्व 28 अक्टूबर दिन शुक्रवार (चतुर्थी) को नहाय खाय के साथ प्रारम्भ होगा। नहाय खाय के साथ ही छठ पूजा का प्रारम्भ हो जाता है। इस दिन स्नान के बाद घर की साफ-सफाई करने के पश्चात सात्विक भोजन किया जाता है।

29 अक्टूबर शनिवार (पंचमी) को खरना

छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है। खरना के दिन से व्रत शुरू होता है और रात में खीर खाकर फिर 36 घण्टे का कठिन निर्जला व्रत रखा जाता है। खरना के दिन सूर्य षष्ठी पूजा के लिए प्रसाद बनाया जाता है।


30 अक्टूबर रविवार को षष्ठी व्रत

30 अक्टूबर रविवार को षष्ठी व्रत रहते हुए महिलाएं सायं काल अस्त होते हुए सूर्य को सूर्यार्घ पूजन के बाद अर्घ देती है। इस व्रत को करने से समस्त कष्ट दूर होकर घर में सुख शान्ति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस वर्ष सायं 05:44 मिनट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त है।

उगते सूर्य को अर्घ्य

31 अक्टूबर सोमवार को प्रातः उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात पारण किया जायेगा। व्रतस्य प्रातः सूर्यार्घ दान सोमवार को प्रातः 06:24 पर शुभ मुहूर्त है। यह व्रत महिलाएं 36 घंटे तक करती हैं।

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